आजादी की अलग ही मजेदार खुशियाँ है सवाल करने में
सवाल करने का हक और मौलिक अधिकार नहीं हो तो लोकतन्त्र का होना और ना होना अपनाना और ना अपनाना यहाँ तक की मनुष्य के रूप में जिंदा रहना भी बेकार है।
हमें सवाल पुछने का हक है और हमारी सरकार से पुछते रहना चाहिए। सूचना के अधिकार के तहत हम सरकार से सवाल ही तो करते हैं। फिलहाल सवाल करने का सबसे बड़ा हतियार सूचना का अधिकार ही है। एक सवाल से कई बार पूरी सरकार कठघरे में खड़ी हो जाती है। सवाल पुछने की आदत अपने में डल लेना ही लोकतन्त्र के रास्ते का आधा सफर तय कर लेने के बराबर है।
हम पता होना चाहिए की हर व्यक्ति को सवाल करने का हक है हर व्यक्ति के मानव अधिकार एक समान है चाहे भिखारी हो प्रधान मंत्री, गाँव का आम व्यक्ति हो या कोई बड़ा अफसर या नेता।