INDUSTRY

INDUSTRY AND ECONOMIC DEMOCRACY- BACKBONE OF HUMAN DEVELOPMENT

बिना उदयोग, व्यवसाय, उद्द्म और कृषि के बिना विकास और प्रगति, शून्य है। बिना उद्योग के काम के कृषि के मनुष्य निरथर्क हो जाएगा, आलसी हो जाएगा, जानवर हो जाएगा। शहर उजड़ जायेंगे गाँव बर्बाद हो जाएँगे। रोजगार नहीं के बराबर रह जाएँगे। हम पाषाण काल के मानव कहलाएंगे.

सरकारें भी इसके लिए नये नये जतन और प्रयोगों को बढ़ावा देती रहती है। जनता की तरफ से भी इस तरह के प्रयोग किए जाते रहते हैं और सरकार तक भेजे जाते रहते हैं।

GST भी इसी से जुड़ा मसला है। ये टैक्स सुधार है। किसका किसलिए, उदयम से पैदा हुई चीजों के लिए। इसलिए हम उदयम ही नहीं करेंगे तो GST सुधार की भी जरूरत नहीं होगी।

किसी भी तरह के फ्रॉड और भ्रष्टाचार और भ्रमित करने वाली चीजों से अवगत करायेगा।

आखिर हम ही सब लोगों से व्यापार फलता फूलता है आगे बढ़ता है। अपना शहर, गाँव, समाज और देश आगे बढ़ता है।

हालांकी GST अभी संपूर्ण कर सुधार नहीं है जो अधिकांश मनुष्य इसे स्वीकार कर सकें। फिर भी हम एक कदम आगे बढ़े हैं। आने वाले सालों में दूसरा कदम आगे बढ़ेंगे। हम जतन करते/कराते रहेंगे।

लोकतन्त्र उत्सव जयपुर की जनता को विश्व का श्रेस्टतम लोकतान्त्रिक सफल उद्यमी बनने की दुआ करता है।

लोकतन्त्र उत्सव विश्व भर से/के सहयोग से और हमारी पुरानी परम्पराओं से/को आधार बनाकर हमारे उदयोग और कृषि को आगे बढ़ा सकने वाली ऊर्जात्मक गतिविधियों का आयोजन/संचालन करता रहेगा। और नई नई चीजों, तकनीकों और आविष्कारों से जयपुरवासियों को रु ब रु कराता रहेगा ताकि हमारा उदयोग, व्यवसाय और कृषि और उन्नत बन सके।

ये आर्थिक लोकतन्त्र है जिसकी चर्चा ऊपर की गई है, इसके बिना सामाजिक लोकतन्त्र और राजनीतिक लोकतन्त्र कल्पना शून्य है।

हमारा समाज और हमारी राजनीति इसी आर्थिक लोकतन्त्र पर टिके है।