The Democracy

आओ लोकतन्त्र के बारे में जानते हैं

लोकतन्त्र का सबसे ज्यादा प्रचलित अर्थ है “जनता का, जनता के लिए जनता के दवारा”। इसका मतलब है राज्य और देश का संचालन जनता के दवारा चुने हुये लोग करेंगे। जनता के चुने हुये लोग जिन्हे हम आम भाषा में नेता या जनप्रतिनिधि कहते हैं जैसे MP, MLA, प्रधान, सरपंच आदि। जनता इनको वोट दवारा लोकतान्त्रिक सिस्टम से गुप्तमतदान प्रणाली के तहत चुनेगी/चुनती है। जनप्रतिनिधि राज्य का संचालन करेंगे/करते हैं। सभी MLA बहुमत से अपने में से एक जननेता चुनते हैं इसे मुख्यमंत्री कहते हैं और सभी MP बहुमत से अपना एक जननेता चुनते हैं इसे प्रधानमंत्री कहते हैं। राज्य और देश के सुचारु रूप से संचालन के लिए कामकाज को अलग अलग विभागों में बांटकर काम करने का रिवाज है, इन विभागों में कामकाज के लिए अलग अलग श्रेणी के कर्मचारी और अधिकारी अलग अलग परिक्षाओं और साक्षात्कार के तहत भर्ती किए जाते हैं जैसे सचिव, कलेक्टर तहसिलदार, इंस्पेक्टर, बाबु और अन्य कई तरह के कर्मचारी और अफसर आदि।

कोई व्यक्ति गलत करे या किसी का हक छीने तो उसे कानून के तहत सजा देने का प्रावधान है इसे न्यायल्य कहते हैं। न्याय करने वाले व्यक्ति को जज कहते हैं। इस सिस्टम को न्यायपालिका कहते है।

हमारे जनप्रतिनिधि हम सब के लिए संसद और विधानसभा में बैठकर बहुमत से निरण्य लेकर कानून बनाते हैं, संविधान में आवश्यक शंसोधन कराते हैं। इसे विधायी/संसदीय शक्ति कहते हैं।

समस्त कार्यों का संचालन करने वाले सिस्टम को कार्यपालिका कहते हैं। इसमें सभी कर्मचारी आते हैं।

सभी कामकाज संविधान प्रद्त शक्तियों के तहत होते हैं। और इस पूरे तंत्र का संचालन जिसके तहत होता है उसे संविधान कहते हैं। संविधान वो पवित्र पुस्तक है जिसमें समस्त क़ानूनों, कार्यो और शक्तियों का लिखित ब्योरा होता है।

संविधान दवारा प्रदत सभी शक्तियों और क़ानूनों का उलंगन करने पर दण्ड/सजा का प्रावधान है। और इस पूरे सिस्टम को लोकतन्त्र कहते हैं।

इस तरह से लोकतन्त्र किसी एक व्यक्ति या संस्था की बपोती नहीं है और ना ही हो सकती है। जिसने जब जब ऐसा किया उसका पतन हुआ है।

राज्य और देश की जनता शांतप्रिय जीवनयापन, अपना अपना कामकाज, व्यवसाय, खेतीबाड़ी नौकरी जो भी काम करती है, करते हुये महफूज रहेगी, इसकी गारंटी राज्य और देश की जनता को लोकतन्त्र के तहत संविधान से प्रदत है है। कोई किसी का हक जबर्दस्ती, चालाकी, या कानून का गलत दुरुपयोग करते हुये नहीं छीनेगा। हर नागरिक और बच्चे के अधिकार और मानव अधिकार कानून और परम्पराओं के तहत सुररक्षित रहेंगे। और ये सारे अधिकार जनता ने वोट के तहत सरकार को सौंपे हैं।

इसकी ज़िम्मेदारी हम नागरिकों ने हमारे राज्य और देश के सिस्टम को जिससे हम कानून, प्रशासन, वोट द्वारा चुने जन जनप्रतिनिधि आदि को सौंपा है करेंगे।

ये लोग तथा राज्य के लिए काम करने वाले सभी कर्मचारी तथा उनके परिवार के लालन पालन के लिए और राज्य के सुचारु रूप से संचालन के लिए जनता ने टैक्स देना तय किया और राज्य भी आय के साधन अर्जित करते हैं और राज्य की आय बढ़ाते हैं, रोजगार बढ़ाते हैं जिससे राज्य और देश बिना किसी बाधा के चल सके और चलाया जा सके।

ये ही है लोकतन्त्र।

पर आज लोकतन्त्र और इसके तहत मिलने वाली सुविधायेँ, हक और विकास की रूपरेखा मुट्टी भर लोगों की तानाशाही, लूट और चालाकी का अडड़ा बन गई है। इसलिए लोकतन्त्र उत्सव आम जन को जगाने और जाग जाने का लोकतांत्रिक युद्द है। ये एक डिबेट है और जनता के लिए वोट द्वारा क्रिकेट का बेट और मैदान भी है।

“लोकतन्त्र” मात्र एक लेख, शब्द या ड्राफ्ट नहीं है। ये भाषण नहीं है। ये आज है। कल है। हमारा आने वाला फ्यूचर है। ये तू नहीं हम हैं।

वोट ही चुनाव है। चुने हुये व्यक्ति लोकतान्त्रिक मूल्यों, मन और दिल वाले होने चाहिए। काम करने वाले कर्मचारी और अधिकारी भी। तभी हम वास्तविक लोकतन्त्र, शांति, खुशहाली और असली विकास को देख और महसूस कर सकेंगे।

कौन है ये मुट्टी भर लोग, पहचान करो इनकी। बाहर निकालो इनको। चाहे वोट से, चाहे कानून से सजा दिलवाकर। ये लोग हमारे मूल्य खा गये, कल्चर को बरबाद कर डाले, सारे जंगल नष्ट कर डाले, विकास के नाम पर देश को कबाड़ बना रहे हैं, सारा धन और संसाधन डकार गये। देश और मनुष्यता के नाम पर कलंक है ऐसे लोग। बहार निकाल फेंकने का वक्त अब शुरू हो गया है। हाँ अच्छे लोगों को साथ लो साथ रखो।

सोचो देश में जनता के सरकारी खजाने से इतना रुपया खर्च और बर्बाद किया जाता है की कोई भी बेरोजगार नहीं रहे और भूखा नही सोये। अन्न से खुशहाल देश में अन्न भंडार भरे हैं। किसान मजदूर बनकर काम कर रहा है। फिर भी इंसान भूखा सोता है। किसान मजदूर के बच्चे अनपढ़ रह जाते हैं। भूखे सो जाते हैं। इससे ज्यादा हमारी लोकशाही और इंसानियत की तोहीन और क्या हो सकती है।

मेरे जयपुर वासियों आप रोज देखते हैं बिजली, सड़क, पानी, सीवरेज, हरियाली, पार्क, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, हेल्थ सिस्टम, साफ सफाई, एजुकेशन सिस्टम जैसी बुनियादी और अनिवार्य सुविधाएं भी हमारी सरकार के नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। ये केवल कुछ लोगों की वजह से है, और भुगतते हम सब हैं। GST में भी सरकार कह रही है एड दे दे कर बता रही है देखो ये पार्क स्कूल किस पैसे से बनते हैं आपके दिये टैक्स से, हमारी मोटा वेतन कहाँ से आता है जनता के दिये टैक्स से। पर इनहोंने आजतक स्कूल और पार्क ठीक से नहीं बनाये, देखो हजारो लाखों बच्चे स्कूल से वंचित है। पार्क तक नसीब नहीं है बच्चों को, सुविधाएं देने से ज्यादा उनके प्रचार-प्रसार पर उसके सभा सम्मेलनों पर, खाने पीने पर खर्च कर रहे हैं। अरे साथियों पहले अच्छा काम कर लो पब्लिसिटी तो अपने आप हो जाएगी। अच्छा होता पहले पार्क और स्कूल बना देते उनका स्तर उच्च स्तर का करा लेते।

हम भूल थोड़े ही गए हैं। पहले भी बहुत आक्रांताओं और अंग्रेजों ने ऐसा किया, खूब खून खराबा किया, दंगे और लूट फसाद किए। इनमें कुछ हमारे हो गए या बाकी देश छोडकार चले गए।

हम ऐसी ही फ़ौलादियों की औलादें है। हम उम्मीद करते हैं ऐसे लोग खुद सुधर जायेँ। हम वक्त देते हैं, एक बार माफ करने की ताकत हमारे खून में हैं। उनके पास भी अवसर है प्रायश्चित कर लें। ये क्रान्ति की बात नहीं आगाह करने की चेतावनी है जनता की तरफ से। क्रान्ति तो कोई लाता नहीं समय पर अपने आप आ जाती है। हम किसी क्रान्ति की बात नहीं कर रहे हैं। हम असली सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक लोकतन्त्र की बात कर रहे हैं।

नहीं तो दुष्ट, करप्ट, बेईमान, धोखेबाज और लोकतन्त्र का मज़ाक बना देने वाले लोगों के खिलाफ जंग ही शेष अधिकार बाकी रह जायेगी। ये जंग ही होगी क्रान्ति। सब जानते हैं क्रान्ति के समय और बाद क्या होता है। हम इसिलिये बेहतरी और बेहतर विकास और मजबूत लोकतन्त्र और जनता के हकों और हमारे स्स्वस्थ मूल्यों की बात कर रहे हैं ताकी किसी अवांछित क्रान्ति से हम मनुष्य बिरादरी को बचा कर रख सकें। डिबेट से चर्चाओं से हम एक सही विचार सूत्र को पकड़ कर आगे बढ़ सकते हैं। हमें मूल्यों को जिंदा रखते हुये आगे बढ़ना है।

जय जयपुर जय राजस्थान जय भारत जय लोकतन्त्र जय विश्व लोकतन्त्र।